‘दुल्हनों का वर्जिनिटी टेस्ट’ सीरीज के पहले भाग में आपने पढ़ा किस तरह परंपरा के नाम पर दुल्हन की जिंदगी के सबसे खास दिन काे सबसे डरावना बना दिया जाता है।
आज पढ़िए कुकड़ी प्रथा का एक और घिनौना पहलू, जो और भी ज्यादा डरावना है।
कई परिवार ऐसे हैं जो खुद चाहते हैं कि दुल्हन ‘कुंवारी’ न हो और वर्जिनिटी टेस्ट में फेल हो जाए। दुल्हन टेस्ट में पास भी हो जाती तो जान बूझकर उसे फेल कर दिया जाता है।
लेकिन ऐसा क्यों?
इस सवाल के जवाब के लिए भास्कर भीलवाड़ा के पंडेर गांव में उस दुल्हन तक पहुंचा, जिसे ससुराल वालों ने जानबूझकर वर्जिनिटी टेस्ट में फेल कर दिया। ससुर के साथ रात गुजारने के लिए मजबूर किया गया। इतना पीटा कि सिर फट गया। दो साल कैद रखा। एक दिन मौका पाकर ससुराल से भाग निकली। कोई वाहन नहीं मिला तो 300 किलोमीटर पैदल चलकर अपने घर पहुंची।
पीड़िता दो साल से अपने घर पर मां के पास है, लेकिन आज भी शादी के वो दो साल नहीं भूल पाई है। भास्कर रिपोर्टर ने बात करने की कोशिश की तो साफ इनकार कर दिया। अपनी मां के काफी समझाने के बाद अपनी आपबीती सुनाने के लिए राजी हुई।
पढ़िए वर्जिनिटी टेस्ट का सबसे घिनौना सच उसी दुल्हन की जुबानी…
'मैं भीलवाड़ा के पंडेर की रहने वाली हूं। पिता नहीं है। मां ने हम दोनों बहनों को पाला। न जमीन थी न जायदाद, मां ने दिन-रात मजदूरी की। पाई-पाई जोड़कर 4 साल पहले मेरी शादी जयपुर में तय की।
लड़के वालों ने बताया था लड़का मूकबधिर है, लेकिन नौकरी करता है। मां को लगा, बेटी जयपुर जैसे शहर में आराम से रहेगी। हैसियत से बढ़कर शादी की। 2 लाख रुपए का दहेज भी दिया।
शादी के बाद मां मजदूरी करने जोधपुर चली गई थी। ससुराल वालों ने मेरे साथ कुकड़ी की रस्म की। ब्लड आया था लेकिन ससुराल वालों ने वो चादर ही छिपा दी। दूसरी चादर दिखाकर मुझे गंदी-गंदी गालियां दी।
मेरी मां को फोन किया- तुम्हारी बेटी कुकड़ी प्रथा में फेल हो गई है, इसे लेकर जाओ, हम नहीं रखेंगे। इसके बाद उन लोगों ने पंचायत बिठाई और मेरी मां से 6 लाख रुपए मांगे। पैसे नहीं देने पर आए दिन पति, ससुर-सास, जेठानी मारपीट करते थे।'
मुझ पर ससुर की गंदी नजर थी, साथ सोने को कहता
‘मेरे ससुर को अपने बेटे के लिए तो पवित्र दुल्हन चाहिए थी, लेकिन खुद मुझ पर गंदी नजर रखता था। गलत तरीके से मुझे छूता। अकेली पाकर जबरदस्ती की कोशिश करता। वो चाहता था कि मैं उसके साथ…लेकिन मुझे ये मंजूर नहीं था। विरोध करती तो मेरे साथ मारपीट करता।
मैंने यह सब अपने पति को बताया तो उसने मुझे झूठा बताया और मारपीट की। इससे ससुर की हिम्मत और बढ़ गई। मैंने मेरी मम्मी को बताने की कोशिश की तो फोन छीन लिया और आरोप लगाया कि तू दूसरे लड़कों से बात करती है। अपने ससुर की करतूत किसी को बता न दूं, इस डर से मुझे घर में बंद करके रखते थे। किसी से नहीं मिलने देते थे’।
सिर फटने पर भी नहीं रुके, बेहोश होने तक पीटते रहे
एक दिन मैंने ससुर की गंदी हरकत का विरोध किया तो मुझे पीटा। सास, पति, जेठानी सभी उनके साथ हो गए। सबने इतना पीटा कि मेरा सिर फट गया। खून बहता रहा तो भी उन्होंने मारपीट नहीं रोकी। बेहोश होने तक पीटते रहे। होश में आते ही मैंने सोच लिया था कि यहां से भागना ही होगा, वरना ससुराल वाले जिंदा नहीं छोड़ेंगे।
300 किलोमीटर पैदल चलकर घर पहुंची
अगले दिन मौका पाकर मैं वहां से भाग निकली। मेरे पास पैसे भी नहीं थे। जान बचाने के लिए पैदल ही जयपुर से भीलवाड़ा के लिए निकल गई। रास्ते में कभी किसी ने लिफ्ट दी तो कभी पैदल चली। आखिर किसी तरह तीन दिन बाद भीलवाड़ा के पंडेर गांव में अपने घर पहुंची। मेरे शरीर पर चोटों के निशान देखकर मां सकते में आ गई। कर्जा लेकर मुझे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया। सिर में पांच टांके आए। 15 दिन अस्पताल में भर्ती रही थी।
‘लोगों को दुल्हन ऐसी चाहिए, जैसे मां के पेट से पैदा हुई हो’
लोगों को अपने बेटों के लिए ऐसी बहू चाहिए जैसे वो मां के पेट से पैदा होती है। खुद की नीयत भले कितनी ही खराब हो, बहू ‘पवित्र’ चाहिए। पीहर वालों से पहले मुंहमांगा दहेज लिया जाता है, फिर भी भूख नहीं मिटती तो और रुपए हड़पने के लिए धोखे से दुल्हन को वर्जिनिटी टेस्ट में फेल घोषित कर देते हैं।
लड़की के घरवाले रुपए नही दे पाएं तो कभी ससुर तो कभी देवर हवस का शिकार बनाता है। इतना टॉर्चर करते हैं कि दुल्हन को मर जाना ज्यादा आसान लगता है। कुकड़ी प्रथा से बचने के लिए मैंने नौकरी की और लव मैरिज की। हम दोनों नौकरी करते हैं और कुकड़ी प्रथा की विक्टिम और उनके परिवारों की मदद करते हैं।
(सुरक्षा कारणों से महिला की पहचान गोपनीय रखी गई है)
सहयोग : रमेश भाट, सतेंद्र दाधीच
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